Tuesday, June 23, 2020

सांसद आदर्श ग्राम योजना


क्या है सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) ?

● इस योजना की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा 11 अक्तूबर, 2014 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्म दिवस की वर्षगाँठ के अवसर पर की गई थी।
● सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) की घोषणा मोदी ने 15 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री के तौर पर अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की थी।
● योजना के अंतर्गत सभी लोकसभा सांसदों को हर वर्ष एक ग्रामसभा का विकास कर उसे जनपद की अन्य ग्रामसभाओं के लिये आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना था।
● साथ ही राज्यसभा सांसदों को अपने कार्यकाल के दौरान कम-से-कम एक ग्राम सभा का विकास करना था।
● इस योजना का उद्देश्य शहरों के साथ-साथ ग्रामीण भारत के बुनियादी एवं संस्थागत ढाँचे को विकसित करना था जिससे गाँवों में भी उन्नत बुनियादी सुविधाएँ और रोज़गार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराए जा सकें।
● इस योजना का उद्देश्य चयनित ग्रामसभाओं को कृषि, स्वास्थ्य, साफ-सफाई, आजीविका, पर्यावरण, शिक्षा आदि क्षेत्रों में सशक्त बनाना था।
● इस योजना के अंतर्गत ग्रामसभाओं के चुनाव के लिये जनसंख्या को आधार रखा गया जिसके अंतर्गत मैदानी क्षेत्रों के लिये 3000-5000 और पहाड़ी, जनजातीय एवं दुर्गम क्षेत्रों में 1000-3000 की जनसंख्या को आधार मानने का सुझाव दिया गया था।
● इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक सांसद को वर्ष 2019 तक तीन और वर्ष 2024 तक पाँच ग्रामसभाओं का विकास करना था।

चर्चा में क्यों?

● हाल ही में जारी आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, अक्तूबर 2014 में शुरू की गई सरकार की सांसद आदर्श ग्राम योजना (Saansad Adarsh Gram Yojana-SAGY) के चौथे चरण के अंतर्गत 31 दिसंबर, 2019 तक केवल 252 सांसदों ने ही ग्रामसभाओं को आदर्श ग्राम योजना के लिये चुना था।
● ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं की ऑडिट रिपोर्ट से यह पता चलता है कि गांव के विकास की योजना का कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा है और न ही लक्षित उद्देश्यों की प्राप्ति हुई है।


क्या कहा गया हैं योजना में 

● सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गांवों में विकास और बुनियादी ढाँचे रखने हेतु सभी राजनीतिक दलों के सांसद को इस योजना के तहत गाँव को गोद लेना है और 2016 तक उसे आदर्श गाँव बनाना है।


क्या है योजना का मामला

● केंद्र ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत आने वाली विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन और उनके प्रभाव के आकलन के लिये एक साझा समीक्षा आयोग (सीआरएम) का गठन किया था।
● अपनी रिपोर्ट में सीआरएम ने कहा कि एसएजीवाई के लिये कोई समर्पित कोष नहीं है।
● किसी और मद की रकम के जरिये इसके लिये कोष जुटाया जाता है।
● सीआरएम के मुताबिक उसके दलों ने राज्यों का दौरा किया और उन्हें योजना का कोई “महत्वपूर्ण प्रभाव” नजर नहीं आया।
● सीआरएम ने कहा कि इस योजना के तहत सांसदों द्वारा गोद लिये गए गांवों में भी, सांसदों ने अपनी क्षेत्र विकास निधि से इसके लिये पर्याप्त रकम आबंटित नहीं की।
● सीआरएम ने एक रिपोर्ट में कहा, “कुछ मामलों में जहां सांसद सक्रिय हैं, कुछ आधारभूत विकास हुआ है, लेकिन योजना का कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा है।”
● सीआरएम के मुताबिक, ऐसे में इन गांवों को आदर्श ग्राम नहीं कहा जा सकता और इस योजना की समीक्षा की जानी चाहिए।
● उसने कहा, “सीआरएम की राय है कि यह योजना अपने मौजूदा स्वरूप में इच्छित उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करती।
● यह अनुशंसा की जाती है कि मंत्रालय इसका प्रभाव बढ़ाने के लिये योजना की समीक्षा कर सकता है.” सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राजीव कूपर की अध्यक्षता में सीआरएम के 31 सदस्यीय दल ने नवंबर में आठ राज्यों के 21 जिलों के 120 गांवों का दौरा किया था।
● सीआरएम में शिक्षाविद् और शोध संगठनों के सदस्य भी शामिल हैं।
● आयोग ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत आने वाली सभी कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा की और बेहतर क्रियान्वयन के लिये सुझाव दिये।


भविष्य में क्या किया जाना चाहिए / सुझाव

● किसी भी देश के सर्वांगीण विकास के लिये यह आवश्यक है कि देश के हर वर्ग को जातिगत, लैंगिक अथवा अन्य किसी भेदभाव के बिना विकास के सामान अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिये।
● भारत की एक बड़ी आबादी आज भी दूरदराज़ के गाँवों में निवास करती है और इनमें से अधिकतर कृषि या विभिन्न प्रकार के कुटीर उद्योगों पर निर्भर रहती है।
● ऐसे में SAGY योजनाएँ न सिर्फ इन गाँवों को विकास का एक अवसर प्रदान करती हैं बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाती हैं, इसलिये वर्तमान समय में यह बहुत ही आवश्यक है कि ग्रामीण विकास की नई योजनाओं की परिकल्पना के साथ उनके क्रियान्वन पर भी गंभीरता से ध्यान दिया जाए तथा योजनाओं की अनदेखी होने पर संबंधित विभाग/अधिकारी की जवाबदेहिता भी सुनिश्चित की जाए।


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