● वन आरंभ से ही प्राकृतिक संसाधन के रूप में सर्वाधिक महत्वपूर्ण संसाधन है और मानव विकास के केंद्र रहे हैं। इसलिए वनों के बिना मानवीय जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
● बीते कई वर्षों से जिस प्रकार बिना सोचे समझे वनों की कटाई की जा रही है। उसे देखते हुए इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि जल्द ही हमें इसके भयावह परिणाम देखने को मिलेंगे।
● भारत में वनों की कटाई का मुद्दा एक महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है। इस संदर्भ में सरकार के द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं।
● सरकार के इन्हीं प्रयासों का परिणाम हाल ही में जारी भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2019 में देखने को मिला है।
● अर्थात बीते 2 वर्षो में देश के हरित क्षेत्रों में सकारात्मक वृद्धि या बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
■भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2019
● इस रिपोर्ट को वर्ष 1987 से 'भारतीय वन सर्वेक्षण' द्वारा द्विवार्षिक आधार पर प्रकाशित की जाता है
● यह इस श्रेणी की 16वीं रिपोर्ट हैं।
● इसमें वन एवं वन संसाधनों के आकलन हेतु देश में 2200 से अधिक स्थानों से प्राप्त आंकड़ों का प्रयोग किया गया है।
● इस रिपोर्ट में 'वनों के प्रकार एवं जैव विविधता' नामक नया अध्याय जोड़ा गया, जिसमें वृक्ष प्रजातियों को 16 मुख्य वर्गों में विभाजित कर उनका 'चैंपियन एवं सेठ वर्गीकरण' के आधार पर वर्गीकरण किया गया।
● स्वतंत्रता से पूर्व औपनिवेशिक काल से भारत में वन नीतियों का उद्देश्य राजस्व प्राप्त करना रहा था। जिस पर शाही वन विभाग का स्वामित्व होता था, जो वन संपदा का संरक्षण व प्रबंधन का कार्य करते थे।
● स्वतंत्रता के पश्चात वनों को उद्योगों हेतु कच्चे माल के प्राप्ति स्रोत के रूप में देखा जाने लगा।
■ राष्ट्रीय वन नीति-1988
●इसके अंतर्गत वनों को न केवल राजस्व स्रोत के रूप में बल्कि पर्यावरणीय संवेदनशीलता एवं संरक्षण के महत्वपूर्ण तत्वों या अवयवों के रूप में देखा गया।
●राष्ट्रीय वन नीति-1988 अनुसार वन उत्पादों पर प्राथमिक अधिकार उन समुदाय का होना चाहिए जिनकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति इन वनों पर निर्भर करती है।
●इसमें वनों के संरक्षण में लोगों की भागीदारी बढ़ाने पर भी जोर दिया गया।
★ 16वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2019 में देश में वनों एवं वृक्षों से आच्छादित लगभग 8,07,276 वर्ग किलोमीटर है जो कि देश के कुल क्षेत्रफल का 24.56% है।
★ 2017 की रिपोर्ट की तुलना में देखे तो वनों के क्षेत्रफल में 0.56% वृद्धि हुई है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का वनावरण क्षेत्र 7,12,249 वर्ग किलोमीटर ( 21.67% )है।
★ वर्ष 1988 कि रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के एक तिहाई भाग पर वनाच्छादित क्षेत्र होना आवश्यक है।
★ पूर्वोत्तर राज्य में देखें तो वनावरण में कमी आयी है।
कुल- 1,70,541 वर्ग किलोमीटर ( 65.05% )
-765 वर्ग कि०मी० ( 0.45% ) की कमी
★ असम तथा त्रिपुरा को छोड़ पूर्वोत्तर राज्यों के वनावरण में कमी आई है।
★ पूर्वोत्तर राज्यों में सर्वाधिक वन आवरण ( प्रतिशत में ) -
- मिजोरम (85.41%)
- अरुणाचल प्रदेश (79.63%)
- मेघालय (76.33%)
● वनों के लिए चलाई गई विभिन्न कार्यक्रम-
■ ग्रीन इंडिया मिशन-
● वर्ष 2014 में केंद्र सरकार द्वारा आयोजित
● 12वीं पंचवर्षीय योजना में 13000 करोड़ रुपए निवेश से वनावरण में 6 से 8 मिलियन हैक्टेयर की वृद्धि करने का लक्ष्य निर्धारित।
● यह जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना है।
■ REDD तथा REDD+ -
● REDD विकासशील देशों द्वारा उनके वन संसाधनों के बेहतर प्रबंधन एवं बचाव करने हेतु प्रोत्साहन राशि तक सीमित है।
● REDD+ वनों के निर्वनीकरण एवं निम्नीकरण, वनों के संरक्षण, संपोषणीय प्रबंधन एवं वन कार्बन भंडार के सकारात्मक तत्वों हेतु प्रोत्साहन राशि देता है।
● REDD+ में गुणवत्ता संवर्धन एवं वन आवरण का संवर्धन भी शामिल है जबकि ऐसी व्यवस्था REDD में नहीं है।
भारत में वन संरक्षण के लिए कदम और कानून-
■फारेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया (FSI)-
●भारत में वनों की सुरक्षा के लिए 1981 में फारेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया (FSI) की स्थापना की गई थी।
●FSI वन और पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत काम कर रहा एक संगठन है।
●इसका प्राथमिक कार्य वनों के क्षेत्र को मापने के लिए देशव्यापी सर्वेक्षण के माध्यम से देश के वन धन को इकट्ठा और मूल्यांकन करना है।
■इंटीग्रेटेड फारेस्ट प्रोटेक्शन स्कीम (IFPS)-
●जंगलों को आग से बचाने के लिए इंटीग्रेटेड फारेस्ट प्रोटेक्शन स्कीम (IFPS) तैयार की गई। ●यह योजना पूर्वोत्तर राज्यों और सिक्किम के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई है और इन क्षेत्रों में जंगलों को बचाने के लिए संसाधनों की कमी भी पूरी हुई है।
●यह योजना 100% केंद्र द्वारा प्रायोजित है।
●इसका मुख्य उद्देश्य राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को बुनियादी ढांचा प्रदान करना है और आग से जंगलों को बचाने और इसके उचित प्रबंधन करना है।
■वन शिक्षा निदेशालय-
● वन और पर्यावरण मंत्रालय के अधीन है और इसका प्राथमिक कार्य राज्यों को, वन अधिकारियों और क्षेत्रीय वन अधिकारियों को प्रशिक्षण देना है।
●वर्तमान में तीन केंद्रीय वन अकादमियां देश में मौजूद हैं। ये क्रमशः ब्य्र्निहत (असम), कोयंबटूर (तमिलनाडु) और देहरादून (उत्तराखंड) में हैं और साथ ही कुर्सियांग के रेंजर्स कॉलेज भी (पश्चिम बंगाल) पूर्व वन क्षेत्र में हैं।
●भारत सरकार वन रेंजर्स कालेजों का संचालन करती है। हालांकि वन शिक्षा निदेशालय ने गैर-वन संगठनों को प्रशिक्षण देने का कार्य भी शुरू कर दिया है।
● बीते कई वर्षों से जिस प्रकार बिना सोचे समझे वनों की कटाई की जा रही है। उसे देखते हुए इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि जल्द ही हमें इसके भयावह परिणाम देखने को मिलेंगे।
● भारत में वनों की कटाई का मुद्दा एक महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है। इस संदर्भ में सरकार के द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं।
● सरकार के इन्हीं प्रयासों का परिणाम हाल ही में जारी भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2019 में देखने को मिला है।
● अर्थात बीते 2 वर्षो में देश के हरित क्षेत्रों में सकारात्मक वृद्धि या बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
■भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2019
● इस रिपोर्ट को वर्ष 1987 से 'भारतीय वन सर्वेक्षण' द्वारा द्विवार्षिक आधार पर प्रकाशित की जाता है
● यह इस श्रेणी की 16वीं रिपोर्ट हैं।
● इसमें वन एवं वन संसाधनों के आकलन हेतु देश में 2200 से अधिक स्थानों से प्राप्त आंकड़ों का प्रयोग किया गया है।
● इस रिपोर्ट में 'वनों के प्रकार एवं जैव विविधता' नामक नया अध्याय जोड़ा गया, जिसमें वृक्ष प्रजातियों को 16 मुख्य वर्गों में विभाजित कर उनका 'चैंपियन एवं सेठ वर्गीकरण' के आधार पर वर्गीकरण किया गया।
● स्वतंत्रता से पूर्व औपनिवेशिक काल से भारत में वन नीतियों का उद्देश्य राजस्व प्राप्त करना रहा था। जिस पर शाही वन विभाग का स्वामित्व होता था, जो वन संपदा का संरक्षण व प्रबंधन का कार्य करते थे।
● स्वतंत्रता के पश्चात वनों को उद्योगों हेतु कच्चे माल के प्राप्ति स्रोत के रूप में देखा जाने लगा।
■ राष्ट्रीय वन नीति-1988
●इसके अंतर्गत वनों को न केवल राजस्व स्रोत के रूप में बल्कि पर्यावरणीय संवेदनशीलता एवं संरक्षण के महत्वपूर्ण तत्वों या अवयवों के रूप में देखा गया।
●राष्ट्रीय वन नीति-1988 अनुसार वन उत्पादों पर प्राथमिक अधिकार उन समुदाय का होना चाहिए जिनकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति इन वनों पर निर्भर करती है।
●इसमें वनों के संरक्षण में लोगों की भागीदारी बढ़ाने पर भी जोर दिया गया।
★ 16वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2019 में देश में वनों एवं वृक्षों से आच्छादित लगभग 8,07,276 वर्ग किलोमीटर है जो कि देश के कुल क्षेत्रफल का 24.56% है।
★ 2017 की रिपोर्ट की तुलना में देखे तो वनों के क्षेत्रफल में 0.56% वृद्धि हुई है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का वनावरण क्षेत्र 7,12,249 वर्ग किलोमीटर ( 21.67% )है।
★ वर्ष 1988 कि रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के एक तिहाई भाग पर वनाच्छादित क्षेत्र होना आवश्यक है।
★ पूर्वोत्तर राज्य में देखें तो वनावरण में कमी आयी है।
कुल- 1,70,541 वर्ग किलोमीटर ( 65.05% )
-765 वर्ग कि०मी० ( 0.45% ) की कमी
★ असम तथा त्रिपुरा को छोड़ पूर्वोत्तर राज्यों के वनावरण में कमी आई है।
★ पूर्वोत्तर राज्यों में सर्वाधिक वन आवरण ( प्रतिशत में ) -
- मिजोरम (85.41%)
- अरुणाचल प्रदेश (79.63%)
- मेघालय (76.33%)
● वनों के लिए चलाई गई विभिन्न कार्यक्रम-
■ ग्रीन इंडिया मिशन-
● वर्ष 2014 में केंद्र सरकार द्वारा आयोजित
● 12वीं पंचवर्षीय योजना में 13000 करोड़ रुपए निवेश से वनावरण में 6 से 8 मिलियन हैक्टेयर की वृद्धि करने का लक्ष्य निर्धारित।
● यह जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना है।
■ REDD तथा REDD+ -
● REDD विकासशील देशों द्वारा उनके वन संसाधनों के बेहतर प्रबंधन एवं बचाव करने हेतु प्रोत्साहन राशि तक सीमित है।
● REDD+ वनों के निर्वनीकरण एवं निम्नीकरण, वनों के संरक्षण, संपोषणीय प्रबंधन एवं वन कार्बन भंडार के सकारात्मक तत्वों हेतु प्रोत्साहन राशि देता है।
● REDD+ में गुणवत्ता संवर्धन एवं वन आवरण का संवर्धन भी शामिल है जबकि ऐसी व्यवस्था REDD में नहीं है।
भारत में वन संरक्षण के लिए कदम और कानून-
■फारेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया (FSI)-
●भारत में वनों की सुरक्षा के लिए 1981 में फारेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया (FSI) की स्थापना की गई थी।
●FSI वन और पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत काम कर रहा एक संगठन है।
●इसका प्राथमिक कार्य वनों के क्षेत्र को मापने के लिए देशव्यापी सर्वेक्षण के माध्यम से देश के वन धन को इकट्ठा और मूल्यांकन करना है।
■इंटीग्रेटेड फारेस्ट प्रोटेक्शन स्कीम (IFPS)-
●जंगलों को आग से बचाने के लिए इंटीग्रेटेड फारेस्ट प्रोटेक्शन स्कीम (IFPS) तैयार की गई। ●यह योजना पूर्वोत्तर राज्यों और सिक्किम के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई है और इन क्षेत्रों में जंगलों को बचाने के लिए संसाधनों की कमी भी पूरी हुई है।
●यह योजना 100% केंद्र द्वारा प्रायोजित है।
●इसका मुख्य उद्देश्य राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को बुनियादी ढांचा प्रदान करना है और आग से जंगलों को बचाने और इसके उचित प्रबंधन करना है।
■वन शिक्षा निदेशालय-
● वन और पर्यावरण मंत्रालय के अधीन है और इसका प्राथमिक कार्य राज्यों को, वन अधिकारियों और क्षेत्रीय वन अधिकारियों को प्रशिक्षण देना है।
●वर्तमान में तीन केंद्रीय वन अकादमियां देश में मौजूद हैं। ये क्रमशः ब्य्र्निहत (असम), कोयंबटूर (तमिलनाडु) और देहरादून (उत्तराखंड) में हैं और साथ ही कुर्सियांग के रेंजर्स कॉलेज भी (पश्चिम बंगाल) पूर्व वन क्षेत्र में हैं।
●भारत सरकार वन रेंजर्स कालेजों का संचालन करती है। हालांकि वन शिक्षा निदेशालय ने गैर-वन संगठनों को प्रशिक्षण देने का कार्य भी शुरू कर दिया है।
Useful information
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