★ भारत की कृषि परंपरा का इतिहास काफी पुराना है। समृद्ध कृषक राष्ट्र होने के कारण एक समय भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।
★ लेकिन समय के साथ तस्वीर बदलती रही और एक समय ऐसा आया कि जब चालीस के दशक में अविभाजित भारत के बंगाल क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा और अनाज की कमी के कारण लाखों लोग मौत का शिकार बने। इस अकाल की वीभिषिका के लिए तत्कालीन ब्रीटिश साम्राज्य की व्यवस्थाओं को दोषी माना गया।
★ आजादी के बाद भारत के नीति निर्माताओं ने बंगाल की उस घटना से सबक लेते हुए धीरे-धीरे इस दिशा में कार्य करना प्रारंभ किया कि आने वाले समय में भारत को अकाल जैसी समस्याओं से जूझना ना पड़े और ऐसी परिस्थितियां ना बने कि देश के नागरिक भूखमरी का शिकार बने।
★ इसके परिणामस्वरूप 1960-70 के दशक में हरित क्रांति जैसा शब्द सामने आया जिसमें बढ़ती आबादी के अनुपात में कम लागत पर अधिक अन्न उत्पादन का संकल्प लिया गया।
★ हरित क्रांति से तात्पर्य कृषि उत्पादों में सतत तीव्र वृद्धि हैं।
★ हरित क्रांति शब्द 1958 में विलियम गैंड द्वारा सर्वप्रथम उपयोग में लिया गया।
★ 1950 के दशक में वैश्विक स्तर पर हरित क्रांति को प्रसारित करने का श्रेय अमेरिकन विद्वान नॉर्मन बोरलॉग को दिया जाता है।
★ इनके द्वारा गठित संस्था 'रॉकफेलर फोर्ड फाउंडेशन' द्वारा मेक्सिको में यह कार्य प्रारंभ किया गया।
★ हरित क्रांति शब्द - विलियम गैंड (1958)
★ हरित क्रांति के जनक- नॉर्मन बोरलॉग
★ भारत में हरित क्रांति के जनक- एम०एस० स्वामीनाथन
★ यू०एन०ओ० में 1960 में जारी रिपोर्ट के अनुसार 1975 तक भारत में भयंकर अकाल की आशंका प्रकट की गई क्योंकि इस स्थिति में भारत जनसंख्या विस्फोट व कम उत्पादक राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल था।
★ इस रिपोर्ट का मूलाधार जनसंख्या संक्रमण सिद्धांत की तीसरी अवस्था में भारत के प्रवेश को माना गया।
★ तात्कालिक कृषि मंत्री एस० सुब्रमण्यम व तात्कालिक सर्वोच्च कृषि वैज्ञानिक एम०एस० स्वामीनाथन के द्वारा भारत में शीघ्र हरित क्रांति प्रारंभ कर दी गई।
- भारत में हरित क्रांति के प्रारंभ के समय प्रधानमंत्री- श्रीमती इंदिरा गांधी
- तात्कालिक योजना मंत्री -प्रो० अशोक मेहता
- तात्कालिक कृषि सचिव- शिवरमन
★ भारत में हरित क्रांति के तहत दो प्रकार की योजनाएं बनाई गई-
1.अल्पकालिक योजनाएं 2.दीर्घकालिक योजना
★ भारत में हरित क्रांति के दो चरण माने जाते हैं-
प्रथम (1967 से)
द्वितीय (1983-84 से)
★ प्रथम चरण 1967 में सरकार द्वारा उच्च सिंचाई सुविधाओं वाले क्षेत्र के रूप में पहचान किए गए क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान (गंगानगर) को चिन्हित किया गया और उन्नत प्रकार (HYV) बीज जिसमें विशेषकर गेहूं के बीज सोनगरा-64, लामीरोजा-250 उन्नत बीज बड़ी मात्रा में आयात किये।
★ साथ ही बड़ी मात्रा में कीटनाशकों व रासायनिक उर्वरकों का भी आयात किया गया।
★ दीर्घकालिक कार्यक्रम के तहत भारत में स्थानिक आवश्यकता की उन्नत बीज निर्मित करने के लिए आवश्यकता के अनुरूप रासायनिक उर्वरकों का उत्पादन करने के लिए, भूमि की क्षमता व मृदा की क्षमता जांचने के लिए व्यापक तौर पर अनुसंधान केंद्र स्थापित किए गए जिससे अंततः भारत एवं कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर हो सकें।
★ हरित क्रांति का प्रभाव अत्यंत सीमित क्षेत्रों जैसे- पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक रहा।
★ इसका सर्वाधिक लाभ धनी कृषकों को प्राप्त हुआ।
★ हरित क्रांति मुख्यतः गेहूं व आंशिक रूप से चावल जैसी खाद्यान्न के तीव्र उत्पादन तक सीमित थी।
★ शेष भारत की अन्य खाद्यान्न फसलों को पूर्णता नजरअंदाज कर दिया गया।
★ हरित क्रांति के इस सीमित प्रभाव को अधिक व्यापक बनाने के लिए हाल ही में नई हरित क्रांति 2010 प्रारंभ करने की योजना बनाई गई है जिसकी अनुशंसा एम०एस० स्वामीनाथन द्वारा की गई है।
★ इस नई हरित क्रांति के तहत पूर्वी भारत के 7 राज्यों को लक्ष्यित किया गया है- असम, पश्चिमी बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश।
★ नई हरित क्रांति में गेहूं चावल के साथ अतिरिक्त शेष खाद्यान्न फसलों तथा मुद्रा दायिनी व्यापारिक फसलों पर जोर दिया जा रहा है।
★ नई हरित क्रांति को RKVY के अंतिम चरण में लागू करने का प्रावधान है।
★ राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) 2006-07 में लागू की गई इसमें कृषि विकास दर 4% रखने का प्रावधान है।
★ भारत सरकार द्वारा प्रारंभ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन जलवायु परिवर्तन के तहत निर्मित किए गए 8 मिशन में से एक हैं।
★ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 4 जुलाई 2013 को संसद में पास किया गया है।
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